टिकाऊ खेती में नैनो उर्वरक की भूमिका
- महत्व
- उपलब्धता
- जिंक ऑक्साइड नैनो कण
- आयरन ऑक्साइड नैनो कण
- उपयोग के तरीके
- लाभ
- जैव आधारित नैनो उर्वरक
उर्वरकों का सफल प्रयोग किसानों के लिए लाभजनक कृषि का आधार माना गया है। उर्वरकों का यदि संतुलित उपयोग न हो, तो वे पर्यावरण के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं। पारंपरिक उर्वरकों का उत्पादन, भंडारण एवं स्थानांतरण, जहां एक प्रमुख चुनौती है, वहीं इनके असंतुलित प्रयोग के दुष्प्रभाव बृहत रूप से देखे गए हैं। इसके साथ ही इनकी उपयोग दक्षता भी दिन प्रति दिन कम होती जा रही है। अत: उच्च पोषक तत्वों के साथ साथ मृदा और पर्यावरण के साथ अनुकूलता वाले उर्वरकों को विकसित करने की आवश्यकता है। नैनो प्रौद्योगिकी गुणात्मक विशेषताओं को बढाने के लिए नैनो उर्वरकों के रूप में एक आशाजनक विकल्प के रूप में तेजी से उभर रही iman है। कृषि एवं खाद विज्ञान के क्षेत्र में इस प्रौद्योगिकी के विभिन्न घटकों का महत्वपूर्ण योगदान है। नैनो उर्वरक में पोषक तत्वों के नैनो फॉर्मूलेशन शामिल होते हैं, जो रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के संभावित प्रतिकूल प्रभावों के साथ साथ उर्वरक अनुप्रयोग आवृत्ति को भी कम करते हैं। इसके अलावा, नैनो उर्वरकों के प्रयोग से रासायनिक अवशेष में भी भारी कमी आती है। इससे न सिर्फ पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि लागत की भी बचत होती है। नैनो जैव उर्वरकों के उपयोग से पारंपरिक उर्वरकों के इस्तेमाल में 50-75 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है।
नैनो उर्वरक पारंपरिक उर्वरकों, मृदा कोलाइड्स और पौधों के भागों से निकाले गए नैनो कण होते हैं। ये 1-100 नैनो मीटर व्यास के आसपास होते हैं। विशिष्ट सतह क्षेत्र और अत्यंत सूक्ष्म आकार होने के कारण, ये नियत्रित एवं धीमी गति से पोषक तत्वों को उन्मुक्त करते हैं। ये मृदा की उर्वराशक्ति, उत्पादकता और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और पोषक तत्व को उपयोग दक्षता में सुधार के लिए जरूरी होता है। नैनो सामग्री की उच्च प्रतिक्रियाशीलता के कारण, ये उर्वरकों के साथ परस्पर क्रिया कर पौधों को पोषक तत्वों के बेहतर एवं प्रभावी अवशोषण में सक्षम बनाते हैं। नैनो उर्वरक पोषक तत्वों को लोचिंग व वाष्पीकरण द्वारा होने वाली हानि को कम करते हैं। ये अधिक प्रतिक्रियाशील होने के कारण पोषक तत्वों की जैव उपलब्धता में भी सुधार करते हैं। इसके साथ ही पर्यावरणीय जोखिमों को भी कम करते हैं।
महत्व
मृदा के भौतिक और रासायनिक गुण, गैसीय नुकसान, लौचिंग, अपवाह और उर्वरक विशेषताएं पौधों की पोषक तत्व उपयोग दक्षता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पोषक तत्वों के उपयोग को प्रभावकारिता में सुधार के माध्यम से फसल उत्पादन में वृद्धि स्थाई कृषि और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के प्रमुख स्तभों में से एक है। उर्वरक उपयोग दक्षता को बढ़ाने के लिए विभिन्न रणनीतियों जैसे-फर्टिगेशन, सटीक निषेचन, सौमित उपयोग और पारंपरिक उर्वरकों के एवज में नैनो उर्वरकों के उपयोग की योजना बनाई गई है। पर्यावरणीय अखंडता, पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक स्थिरता के साथ जनसंख्या को बढ़ती खाद्य मांगों को पूरा करने के लिए नैनो प्रौद्योगिकी फसलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कृषि के क्षेत्र में नैनो एनकैप्सुलेशन के प्रयोग ने बहुलक मैट्रिक्स के भीतर उर्वरकों के एनकैप्सुलेशन और प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों में उर्वरकों के वाष्पीकरण/गिरावट को रोककर प्रभावकारिता को बढ़ाया है। बीज उपचार सहित कृषि क्षेत्र में नैनो तकनीक के अनुप्रयोग के संबंध में विभिन्न रिपोर्ट प्रकाशित की गई हैं।
उत्पादन विधियां
नैनो पोषक पदार्थों के साथ मुख्यतः तीन विधियों से एनकैप्सुलेशन किया जा सकता है:
- नैनो सामग्री में समाहित
- नैनो सामग्री की एक परत के साथ लेपित
- नैनो इमल्शन के रूप में वितरित
उपलब्धता
नैनो उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन हाल ही में भारतीय किसान उर्वरक ननापारमा सहकारी लिमिटेड (इफको) द्वारा किसानों के लिए दुनिया का पहला नैनो यूरिया (तरल) पेश किया गया है। फसलों में नैनो यूरिया का प्रयोग मृदा में यूरिया के अतिरिक्त उपयोग को कम करके संतुलित पोषण प्रदान करेगा। पारंपरिक यूरिया, पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनती है। इससे मृदा के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है और पौधे को रोग और कोट के संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील बनाता है। यूरिया, फसल की परिपक्वता और उत्पादन हानि में देरी करता है। नैनो यूरिया, फसलों को मजबूत एवं स्वस्थ बनाता है और उन्हें गिरने से बचाता है। इफको नैनो यूरिया की 500 मि.ली. की बोतल. पारंपरिक यूरिया के एक बैग के बराबर काम करती है।
जिंक ऑक्साइड नैनो कण
यह सूक्ष्म पोषक तत्व कई एंजाइमों के भीतर सहकारक, धातु घटकों और अन्य नियामक कारकों के रूप में कार्य करता है। इस प्रकार पौधों की कायिकी प्रतिक्रियाओं के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण साबित होता है। यह ज्यादातर या तो जिंक ऑक्साइड या जिंक सल्फेट के रूप में वितरित किया जाता है, जो आमतौर पर मृदा के भीतर जिंक की कमी को संतुलित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। पौधों को जिंक की अनुपलब्धता के कारण उर्वरक के रूप में इनको प्रयोज्यता सीमित होती जा रही है। इस संदर्भ में, जिंक एनपी, जिंक की कमी को दूर करने के लिए एक आशाजनक भूमिका निभाता है। वे इसके स्थूल रूप की तुलना में अत्यधिक प्रतिक्रियाशील होते हैं।
आयरन ऑक्साइड नैनो कण
इसकी नवीन प्रयोज्यता को इसके नैनो आकार और चुंबकीय विशेषताओं के कारण कृषि क्षेत्र में नैनो उर्वरकों के रूप में उपयोग किया गया था। नैनो उर्वरक के रूप में आयरन ऑक्साइड नैनो पार्टिकल्स की दक्षता कई अपर्याप्तता वाले रासायनिक Fe उर्वरकों को प्रतिस्थापित कर सकती है।
उपयोग के तरीके
मुख्यतः दो प्रकार के नैनो उर्वरक होते हैं, मैक्रो और सूक्ष्म पोषक तत्व नैनो उर्वरक। नैनो-उर्वरक, मैक्रो पोषक तत्वों (जैसे-नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम, सल्फर और कैल्शियम) को सटीक मात्रा में वितरित करने के उद्देश्य से नैनो सामग्री के साथ मिलाकर बनाए जाते हैं। मैक्रो पोषक तत्व नैनो-उर्वरक में विशिष्ट नैनो सामग्री के साथ समेकित रूप में एक या अधिक पोषक तत्व शामिल होते हैं। नैनो उर्वरक मुख्यत: दो प्रकार से उपयोग किए जा सकते है:
पर्णीय छिड़काव
एन.पी.के. नैनो कण जब पत्ती की सतहों पर छिड़का जाता
नैनो उर्वरकों के रूप में
कार्बनिक नैनो कण
कार्बनिक एन.पी. के आमतौर पर सिंथेटिक रसायन विज्ञान द्वारा परमाणु या अणुओं से निर्मित होते हैं। कैप्सूल, पॉलीमर संयुग्म, वेसिकल्स, मिसेल, लिपोसोम, पोलीमरेज, डेडिमर और पॉलीमेरिक एन.पी. जैसे कई प्रकार के निर्माण करते हैं। नैनो मिक्स-एन.पी.के. में कई कार्बनिक अम्ल होते हैं। इनमें केलेटेड एन.पी.के.ओ. अमीनो आम्ल और काबनिक कार्बन होते हैं। ये कार्बनिक सूक्ष्म पोषक तत्वों/ट्रेस तत्वों, विटामिन और प्रोबायोटिक्स के साथ तैयार होते हैं, जो इसे संपूर्ण बनाते हैं। सभी फसलों के लिए नैनो पोषक उर्वरक है।
है, तो गैसीय विनिमय के माध्यम से रंध्र की मदद से प्रवेश करते हैं और फ्लोएम ऊतकों के माध्यम से स्थानांतरित होते हैं।
मृदा में छिड़काव
कई अध्ययनों से यह स्पष्ट है कि एन.पी.के. उर्वरकों का मृदा में प्रयोग करने से फसलों के समग्र प्रदर्शन को बढ़ावा मिलता है। हाइड्रॉक्सी एपेटाइट नैनोरोंड अनुप्रयोग पर कई अध्ययन भी किए गए, जो अंकुरण दर और पौधे की वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
सावधानियां
कृषि में नैनों प्रौद्योगिकी का प्रयोग एवं प्रचलन बहुत बढ़ रहा है। इनके भिन्न स्वरूप के कारण इनके उपयोग में कुछ सावधानियां बहुत आवश्यक हैं जैसे:
नैनो कणों का परिवर्तन
प्रतिक्रियाशीलता के गुण के कारण, नैनो सामग्री पर्यावरण के विभिन्न घटकों के साथ प्रतिक्रिया कर सकती है। इससे भौतिक एवं रासायनिक गुणों में और परिवर्तन होता है। नैनो सामग्री मृदा के घटकों के साथ परस्पर क्रिया कर सकती है और विषाक्तता पैदा कर सकती है।
नैनो कणों का संचय
नैनो उर्वरक पौधों के हिस्सों में जमा हो सकते हैं। इससे विकास अवरोध, प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों का निर्माण और कोशिकाओं को मृत्यु हो सकती है। यह खाद्य भागों में जमा हो सकता है और जब सेवन किया जाता है, तो यह मानव स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। कृषि श्रमिकों के लिए सुरक्षा की चिंताः नैनो सामग्री की प्रतिक्रियाशीलता और परिवर्तनशीलता ने उन श्रमिकों के लिए सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है, जो इनके निर्माण और क्षेत्र में प्रयोग के दौरान संपर्क में आते हैं।
जैव आधारित नैनो उर्वरक
सूक्ष्मजीव जैसे-राइजोबियम, नीले हरित शैवाल, माइकोराइजा, एजोटोबैक्टर, एजोस्पिरिलम, फॉस्फेट-विघटनकारी बैक्टीरिया जैसे स्यूडोमोनास और बैसिलस किस्में भी सूक्ष्मजीव उत्प्रेरक के समकक्ष कार्य करते हैं। ये विशिष्ट नाइट्रोजन स्थिरीकरण क्षमता को संशोधित एवं अघुलनशील जटिल कार्बनिक पदार्थों की घुलनशीलता में सुधार करके, सरल रूप में रूपांतरण के माध्यम से, आवश्यक तत्वों की जैव उपलब्धता बढ़ाने में सहायक होते हैं।
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